भारत में 12 महत्वपूर्ण नदियों में में से एक गोदावरी नदी है जो की एक प्रायद्वीपीय नदी है। गोदावरी नदी, भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है, जिसे ‘दक्षिण गंगा’ नाम से भी जाना जाता है। यह महाराष्ट्र से आंध्र प्रदेश तक 1465 किमी बहकर लाखों लोगों की आजीविका का आधार है और सांस्कृतिक महत्व रखती है।”
भारत में नदियों का विभाजन दो भागों में किया जाता है 1. हिमालय से निकलने वालीं नदियाँ 2. प्रायद्वीपीय नदियाँ
हिमालय से निकलने वाली 3 महत्वपूर्ण नदियाँ गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी, जबकि प्रायद्वीपीय 4 महत्वपूर्ण नदियाँ गोदावरी, कावेरी, महानदी और कृष्णा नदी को माना जाता है, ये सभी नदियाँ पूर्व दिशा में बहती हुई बंगाल की खाड़ी में जा गिरती हैं। प्रायद्वीप क्षेत्र की अन्य तीन महत्वपूर्ण नदियाँ माही, तापी और नर्मदा नदी पश्चिम में बहती हुई अरब सागर में जा गिरती हैं।
1. गोदावरी नदी का उद्गम और प्रवाह मार्ग
गोदावरी नदी का उद्गम स्थान महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में त्र्यंबकेश्वर के पास ब्रह्मगिरी पहाड़ी है। यह भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी मानी जाती है। यह पश्चिमी घाट के ब्रह्मगिरी पर्वत से निकलकर पूर्व दिशा की ओर बहते हुए महाराष्ट्र, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, ओडिशा और अंतः आंध्र प्रदेश के बंगाल की खाड़ी में समाहित हो जाती है। महाराष्ट्र से आंध्र प्रदेश तक की दुरी करते हुए इस नदी की कुल लम्बाई 1465 किमी है।
राज्यों के नाम : महाराष्ट्र → तेलंगाना → छत्तीसगढ़ → ओडिशा → आंध्र प्रदेश → बंगाल की खाड़ी
2. गोदावरी नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ
गोदावरी नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ को बाये और दाएं तट में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार हैं-
बाएं तट से मिलने वाली सहायक नदियाँ
- धरना,
- पेंगांगा,
- वैनगंगा,
- वर्धा,
- प्राणहिता (पेनगंगा, वर्धा और वैनगंगा के संयुक्त जल को ले जाने वाली),
- पेंच,
- कन्हान,
- सबरी,
- इंद्रावती आदि.
दाहिने तट से मिलने वाली सहायक नदियाँ
- प्रवरा
- मांजरा
- मुला
- पेद्दावगु
- मनेर आदि।
प्रमुख सहायक नदियाँ
प्रमुख सहायक नदियाँ: प्राणहिता, इंद्रावती, साबरी आदि
- प्राणहिता- प्राणहिता दक्षिण भारत की एक प्रमुख नदी है, यह नदी महाराष्ट्र और तेलंगाना राज्यों में प्रवाहित होती है और गोदावरी नदी की जल प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- इंद्रावती नदी भारत की एक प्रमुख नदी है, यह नदी छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना राज्यों से होकर गुजरती है और इन क्षेत्रों के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- साबरी नदी भारत की एक महत्वपूर्ण नदी है, यह नदी छत्तीसगढ़, ओडिशा, और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों से होकर बहती है
- पोलावरम परियोजना
- श्रीराम सागर परियोजना
- श्रीराम सागर
- ऊपरी पेंगांगा
- ऊपरी वैनगंगा
- गोदावरी बैराज
- जैकवाडी
- ऊपरी इंद्रावती और
- ऊपरी वर्धा.
4.गोदावरी का डेल्टा क्षेत्र
गोदावरी का डेल्टा क्षेत्र भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित है, यह एक उपजाऊ और भौगोलिक दृस्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यह क्षेत्र गोदावरी नदी द्वारा बंगाल की खाड़ी में मिलने से पहले बने जलोढ़ मैदानों और डेल्टा के रूप में विकसित हुआ है। इसे भाग को भारत के सबसे बड़े और उपजाऊ डेल्टा क्षेत्रों में से एक माना जाता है।
बेसिन
इसका बेसिन उत्तर में सतमाला पहाड़ियाँ, अजंता पर्वतमाला और महादेव पहाड़ियाँ, दक्षिण में बालाघाट और महादेव पर्वतमाला, पूर्व में पूर्वी घाट और बंगाल की खाड़ी तथा
पश्चिम में पश्चिमी घाट मौजूद है।
5. गोदावरी नदी का आर्थिक और सांस्कृतिक महत्व
आर्थिक महत्त्व
गोदावरी नदी आर्थिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण हैं, इस नदी का जल निकासी क्षेत्र महाराष्ट्र 48.6%, तेलंगाना 20%, मध्य प्रदेश 10%, आंध्र प्रदेश 3.4%, छत्तीसगढ़ 10.9%, ओड़िसा में 5.7% और कर्नाटक में इस नदी का निकासी 1.4% भाग फैला हुआ है।
कृषि और जल आपूर्ति में योगदान- गोदावरी नदी के जल का उपयोग बड़े पैमाने पर कृषि के लिए किया जाता है। यह धान, गन्ना, गेहूँ, बाजरा, और कपास जैसी फसलों के लिए सिंचाई का प्रमुख स्रोत है।
गोदावरी के डेल्टा क्षेत्र आंध्र प्रदेश और छतीसगढ़ को “भारत का धान का कटोरा” कहा जाता है।
जलविद्युत उत्पादन- गोदावरी पर कई जल विद्युत परियोजनाएँ हैं, जिनमें जयकवाड़ी बांध (महाराष्ट्र), श्रीराम सागर परियोजना (तेलंगाना), और पोलावरम परियोजना (आंध्र प्रदेश), इन परियोजनाओं से बिजली उत्पन्न होती है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
गोदावरी नदी गंगा नदी की तरह ही पौराणिक कथाओं से अनुसार काफी महत्वपूर्ण है, वराह पुराण और ब्रम्ह पुराण में इस नदी का उल्लेख मिलता है। इसे बूढी गंगा और प्राचीन गंगा के नाम से भी जाना जाता है।
सप्त गोदावरी- सप्त गोदावरी का उल्लेख ऐतिहासिक, पौराणिक, और भौगोलिक दृष्टिकोण से किया जाता है। यह शब्द गोदावरी नदी और उससे जुड़ी सात प्रमुख धाराओं या सहायक नदियों के महत्व को दर्शाता है। ये धाराएँ वसिष्ठा, कौसिकी, वर्धा गौतमी, भारद्वाजी, अत्रेयी और तुल्या हैं।
कुम्भ मेला- महाराष्ट्र के नाशिक में गोदावरी के तट पर कुम्भ मेला लगता है, इस कुम्भ को पुष्कर्म कुम्भ भी कहा जाता है।
6. गोदावरी नदी का पर्यावरणीय महत्व और चुनौतियाँ
गोदावरी नदी प्रणाली पर बढ़ते मानव हस्तक्षेप और विकासात्मक गतिविधियों के कारण पर्यावरण पर कई नकारात्मक प्रभाव पडे हैं, जिससे नदी दूषित होती है और इससे मनुष्य व वातारवण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
घरेलू अपशिष्ट पदार्थ: नदी के किनारे बसे लोगों द्वारा बड़ी मात्रा में घरेलू अपशिष्ट नदी में छोड़ा जाता है, जिससे नदी दूषित होती है।
औद्योगिकों के अपशिष्ट पदार्थ: काकीनाडा, राजमुंदरी और अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित कारखाने भारी मात्रा में रसायनयुक्त पानी और अपशिष्ट नदी में छोड़ते हैं, इससे कृषि योग्य भूमि में नुकसान होता है।
प्रदूषण और संरक्षण के उपाय
1. जल प्रदूषण को रोकने के उपाय:
- औद्योगिक और घरेलू अपशिष्टों पर रोक और अपशिष्टों पर पुनः उपयोग पर प्रेरित।
- किसानों को जैविक खेती और प्राकृतिक उर्वरकों का उपयोग करने के लिए प्रेरित करना।
2. जैव विविधता संरक्षण:
- मछलियों और अन्य जलीय प्रजातियों के लिए संरक्षण योजनाएँ लागू करना।
- आर्द्रभूमियों और प्रवासी पक्षियों के आवासों को संरक्षित करना।
3. वन और भूमि संरक्षण:
- वनीकरण और पुनर्वनीकरण अभियान चलाना।
- नदी के जलग्रहण क्षेत्रों में वृक्षारोपण करना।
4. जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन:
- जल संसाधनों के प्रबंधन के लिए दीर्घकालिक योजनाएँ बनाना (वर्षा के समय)।
निष्कर्ष:
गोदावरी नदी प्रणाली का भविष्य भारत के दक्षिणी भारत और मध्य हिस्सों की जल आवश्यकताओं, आर्थिक विकास और पारिस्थितिकी संतुलन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। लेकिन, वर्तमान में नदी प्रदूषण की चुनौतियों का सामना कर रही है, इसके लिए प्रदूषण सम्बन्धी आवश्यकताओं पर ध्यान देने की जरूरत है।
Helpfull Post For specially UPSC